मैंने तुझे हर दुओं में मांगा है

 मैंने तुझे हर दुओं में मांगा है

मैंने तुझ से शिद्दत से प्रेम किया है
तू मेरी हर प्रार्थना में है
मैंने तुझे शिद्दत से चाहा है
मैंने खुद से ज्यादा तुझे चाहा है
एक तू ही तो है जिसे अपना मान कर आगे बढ़ा है
अगर तू साथ है तो और क्या चाहिए
अगर मैं सुबह जल्दी ना उठूं 
और किसी ने तुम्हारा नाम ले कर मुझे उठा दिया
तो मुझे लगता है कि तू मेरे सामने है
और मैं उठ जाता हूँ
मोहब्बत तुम से था,तुम से है
और तुम ही से रहेगा
ख्यालों में भी मैं किसी और का हो जाऊं
ये हो नहीं सकता।
अब कितने भी क्यों ना आ जाए मेरे राहों में 
अब तू ही मेरे दिल में बस चुकी है
तो बस तेरी ही चाहत रहेगी।
        लेखक ✍️
ठाकुर रजत रंजन राजपूत प्रताप सिंह सेपियन्स ऊर्फ़ ठाकुर सिल्वर सिंह राजपूत (बड़े नाम वाले)

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