मुझे अपनों ने लूटा
गैरों में कहाँ दम था।
मेरी हड्डी जहाँ टूटी
वहाँ हॉस्पिटल ही बंद था।
मुझे जिस एम्बुलेंस में ले जाया गया
उसमें पेट्रोल कम था।
मुझे तो रिक्शा में ले जाया गया
क्योंकि उसका भाड़ा कम था।
मुझे डॉक्टरों ने उठाया
नर्सों में कहाँ दम था ।
मुझे जिस बेड पर लेटाया गया
उसके नीचे बम था।
मुझे बम ने उड़ाया
गोलियों में कहाँ दम था।
मुझे सड़क पर दफ़नाया गया
क्योंकि कब्रिस्तान में जगह कम था।
स्रोत:अज्ञात
लेखक:ठाकुर रजत रंजन राजपूत प्रताप सिंह सेपियन्स उर्फ़ ठाकुर सिल्वर सिंह राजपूत
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