हाल ना पूछो साहब...
हम तो वो मुसाफिर हैं जो किसी का हाल भी पूछ लें ,तो लोग यूँ ही बदनाम कर देते हैं
दुनिया बड़ी जालिम है साहब अगर पानी भी पीयू तो लोग कहते हैं शराब पी के आया है...
दुनिया भी उनको बदनाम करती है साहब जो शरीफ होते हैं उनको नहीं जो बदनाम है....
जी करता है लिख दूँ उनका नाम जिन्होंने हम बदनाम किया अपनी हर एक शायरी के साथ,
मगर फिर ख्याल आता है मासूम हैं वे
बेवजह हम क्यों बदनाम करें उन्हें
उन्होंने तो हमें यूँ ही बदनाम कर दिया
क्या फर्क रह जायेगा उनमें और हम में।
रिश्तों की कद्र नहीं थी उन्हें, वरना हमें यूँ ही बदनाम नहीं करते
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते
ख़ामोशी से मर जाते हैं,मगर किसी को बदनाम नहीं करते।
हाल ही तो पूछा था हमनें, मगर यूँ ही हमने किसी को बदनाम
नहीं किया था।
This article is based on the experience and true fact
लेखक ठाकुर रजत रंजन राजपूत प्रताप सिंह सेपियन्स उर्फ ठाकुर सिल्वर सिंह राजपूत
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