लेखक हूँ साहब

 लेखक हूँ साहब


लेखक हूँ साहब लिखना पसंद है मुझे ,
अपने दर्द को अपने कलम के द्वारा ही बयां कर देता हूं । ।
लेखक हूँ साहब सब कुछ सह लेता हूँ,

फिर भी किसी से कुछ नहीं कहता हूँ,

लेखक हूँ साहब दर्द मुझे भी होता है
बयां कर देता हूं अपने कलम से,

महसूस किया हूं वह मंजर जिसे आज तक मैंने अपने जीवन में किया है।।

क्या करूँ साहब ,लेखक हूं मैं मुझे लिखना पसन्द है, लिख देता हूं वो अपने सारे दुःख जो मैंने झेला है,महसूस किया है।।
✍️लेखक-
 ठाकुर रजत रंजन प्रताप सिंह सेपियन्स उर्फ़ ठाकुर सिल्वर सिंह राजपूत

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