वह लड़की कैसे बनी योगा गर्ल
इस कहानी का उदय होता है देवभूमि उत्तराखंड से, उस लड़की के दादा जी मूल रूप से उत्तराखण्ड के निवासी थे,जो बाद में अपने पूरे परिवार के संग आकर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में पड़ने वाले रहसू बाजार के स्थाई निवासी हो गए।
परिवार में उसके दादा दादी के अलावा उसके पिता जी के तीन भाई व एक बहन है , उत्तर प्रदेश आने के बाद पूरा परिवार हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहा था । खेती बाड़ी सबकुछ एकदम ठीक ठाक चल रहा था।
समय के साथ सबकुछ बदलता गया, सबकी शादी हो गई बाल बच्चे हो गए।
उस लड़की के पिता भाइयों में सबसे बड़े और बड़े होने के नाते उनपर जिम्मेदारियां भी बड़ी ।
तीन बहनें व एक भाई में सबसे बड़ी उस लड़की के जिंदगी के संघर्ष की कहानी उसके बढ़ती उम्र के साथ शुरू होती है।
उस लड़की की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही माध्यमिक विद्यालय से शुरू हुई कक्षा 5वी तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरैया महंथ पट्टी में दाखिला हुआ।
कक्षा 6 वी में प्रवेश के बाद उस लड़की की मुलाकात योग आचार्य अजीत आनंद कृष्णा से हुई।
अपने स्कूल के तरफ से विभिन्न स्तरों पर आयोजित होने वाले खेलों में प्रतिभाग करने के बाद उस लड़की की रुचि योग के प्रति बढ़ती गई।
कक्षा 8वी तक जाते जाते योग से वह लड़की बहुत अच्छे से जुड़ चुकी थी।
जब तक उस स्कूल में रही अपने योग आचार्य अजीत आनंद कृष्णा के सानिध्य में योग की अनन्य कलाओं में वह लड़की पारंगत होते रही।
आगे की पढ़ाई के लिए उस लड़की का दाखिला उसके पिता जी ने इंटरमीडिएट कॉलेज जौरा बाजार में करा दिया।
वह लड़की अपने शिक्षा के साथ साथ योग की दुनिया में भी पूरे मनोयोग से लग चुकी थी। जितना सजग अपने पढ़ाई के लिए उतना ही सजग अपने योग के लिए।
प्रतिदिन प्रातः काल उठकर योग अभ्यास व उसके बाद घर के काम फिर पढ़ाई लिखाई ।
लगन इतना योग के प्रति कि लड़कों से कही ज्यादा मेहनत करने लगी वो लड़की ।
हंसी खुशी अपने शिक्षा के साथ साथ योग को लेकर वह लड़की अपना जीवन व्यतीत कर रही थी।
समय का पहिया चलता रहा अच्छे खासे अंक से उसने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर लिया ।
और अब शुरू हुई उस लड़की के जीवन की असली संघर्ष , यही वो मोड़ रहा जिसने उस लड़की को योग की दुनिया में लाकर खड़ा कर दिया
12वी की शिक्षा के बाद तमाम हसरते सजाए उस लड़की के जीवन में एकदम से अंधेरा छा तब छा गया जब ऊपर वाले ने हमेशा हमेशा के लिए उससे उसके इकलौते भाई को छीन लिया।
वह लड़की अब एकदम से टूट चुकी थी। इंटर के बाद कही दाखिला नहीं लिया बस दिन रात भाई को याद कर के बिलखना ही उसका काम हो गया, वह अपने परिवार की स्थिति देख अब अपने जीवन से नफरत करने लगी थी।
वह अपना जीवन लीला समाप्त कर लेना चाहती थी।
फिर...... एक कहावत सत्य हुई ,डूबते को तिनके का सहारा
अपने जिंदगी से हार मान चुकी उस लड़की को एक योगाचार्य तिनके के समान सहारा बने और वो लड़की डूबने से बच गई।
उस लड़की को जीवन का असली सार बता उसे फिर से एक नई जिंदगी देने वाले उस लड़की के लिए भगवान योग आचार्य सत्यम आनंद उसे हर तरह की चुनौतियों के लिए तैयार करने लगे।
जैसे तैसे उस लड़की के जीवन का वह एक भयावह वर्ष समाप्त हुआ।
अब वह लड़की तैयार थी फिर से अपने जिंदगी को एक नया दिशा देने के लिए, अब तक योग सिर्फ उसका शौक था ।
परंतु अब योग ही उसके जीवन का लक्ष्य हो गया।
सबकुछ सामान्य होने के बाद उसने ग्रेजुएशन के लिए श्री भगवान महावीर पीजी कॉलेज पावानगर में दाखिला लिया। और योग की दुनिया में पूरे तरह से खुद को समर्पित कर दिया , जिसकी बदौलत अपने ग्राम ही नही अपितु जनपद के बाहर भी उस लड़की ने अपना परचम लहराया।
और इस तरह से एक साधारण सी लड़की बन गई.......
योगा गर्ल आंचल रावत
लेखक:
रंजीत
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